NOT KNOWN FACTUAL STATEMENTS ABOUT अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

Not known Factual Statements About अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

Not known Factual Statements About अहंकार की क्षणिक प्रकृति: विनम्रता का एक पाठ

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परिवार और दोस्तों का उनके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। हॉकी से उन्हें गहरा

ये आदमी अब ज्ञान की तलाश में है। लेकिन एक बात इसने भी अभी पकड़ रखी है, क्या? कि ये कोई है और इसे कुछ चाहिए। राजसिक आदमी को भी कुछ चाहिए था, उसने कहा, “संसार में मिलेगा।” सात्विक आदमी को भी कुछ चाहिए था, उसने कहा, “भीतर मिलेगा, ज्ञान में मिलेगा।”

आचार्य: जी, बहुत मीठी बात है। बड़े प्रेम से बोल रहे हैं आप और बात सही भी है।

और उसके भीतर बड़ी ग्लानि more info है, बड़ी हीनभावना है कि हम तो बड़े अरसे तक नारकीय रहे हैं। नर्क से अब उसको द्वेष भी है और डर भी। द्वेष ये है कि इतने दिनों तक नर्क में क्यों पड़े रहे और डर ये है कि पुनः नर्क में ना पड़ जाएँ। उसको लगातार यही लग रहा है कि नर्क उसका पीछा कर रहा है। तो नर्क से बचने के लिए वो लगातार भागता है, लगातार भागता है। ये भागदौड़, ये गति ही राजसिक अहम् की पहचान है।

दुनियादारी की कोई चीज़ चाहिए?” तो कहेगा, “नहीं, सोने दो बस। हम जैसे हैं, ठीक हैं। कहाँ है हमारा वो फटा-पुराना गद्दा और मैली चादर? लाओ उसी पर सो जाएँ।”

प्र: आजकल तो अधिक परेशान रहने को सामाजिक प्रतिष्ठा और प्रेरणा का सूचक बताया जाता है।

प्र: पर थोड़े ही समय में वास्तविकता सामने आ ही जाती है।

प्र: क्या सही काम वही है जिसे करने में मन में किसी भी प्रकार का प्रतिरोध ना उठे?

आचार्य: उनको दोष मत दो, वो बेचारे ख़ुद पीड़ित हैं। उनसे पूछता हूँ कि जब इतनी तुम्हारी ख़राब हालत है तो निकल क्यों नहीं आते?

जो कहते हैं, 'इत्तु-सी ही है, लेकिन जो भी मैं अपना गिलहरी श्रम कर सकता हूँ वो तो करूँगा। रेत का एक दाना ही सही, अगर ले जा सकता हूँ तो ले जाऊँगा। जो भी मैं कर सकता हूँ उतना तो पूरा-पूरा करूँगा', वो फिर पाते हैं कि उन्होंने इतनी सी (उँगलियों से छोटा सा आकार दिखाते हुए) ताक़त से शुरू करा था और शुरू करने के कारण ही उनकी ताक़त इतनी हो गयी (हाथों को पूरा फैलाकर आकार बताते हुए)।

गीतिका समय पड़े तो आँखों को अंगार कीजिए कविता अहंकार अख़बार आषाढ़ की पहली बारिश एक कविता एक ललित गीत गाँव गाँव में चल भूख प्यास की भी कहानी लिख दे नये वर्ष की मधुर बधाई पटरियों पे दफ़न हुई आश पीठ पर हिमालय स्वतंत्रता दिवस के नाम पुस्तक समीक्षा जगती को गौतम बुद्ध मिला : धर्मेंद्र सुशांत भोजपुरी कहानियों की अनुपम भेंट : अगरासन - कृपी कश्यप विडियो ऑडियो विशेषांक में

समाज में कई ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं जब प्रसिद्ध व्यक्तियों को गरीबी और मुफलिसी

खेलने के लिए बहुत अधिक साधन और धन जुटाने की भी आवश्यकता नहीं है। सीमित संसाधन

जानकारी प्राप्त कर कुछ प्रश्न तैयार करें और साक्षात्कार लें।

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